STORYMIRROR

Gurudeen Verma

Abstract

4  

Gurudeen Verma

Abstract

यह प्यार

यह प्यार

1 min
321


यह प्यार, 

जिसकी चाहत है हर किसी को,

गरीब, अमीर, वजीर, मालिक आदि को।

चाहे वह रहता हो जमीं या आसमां पर,

या रहता हो समुद्र में या उड़ता हो आसमां में।

चाहे वह बच्चा हो या वृद्ध व्यक्ति,

चाहे वह जवान हो या औरत।


यह प्यार,

जो रखता है सबको खुश और आबाद,

देता है सबको हिम्मत और ऊर्जा,

जो जोड़ता है आपस में विभिन्न देशों को,

हराता है दुश्मन को, जोड़ता है दिलों को,

रखता है सबको जवां और हसीन।


यह प्यार,

जो कर देता है राजी देने को कुर्बानी,

अपने देश की आन - बान - शान के लिए,

इज्ज़त - सम्मान - स्वाभिमान की रक्षा के लिए,

अपनी मोहब्बत को बेदाग अमर करने के लिए,

दूसरे को जीवनदान - खुशी प्रदान कर

ने के लिए।


यह प्यार,

जब होता है आत्मा से किसी से,

हो जाता है यह अमर तब,

बन जाता है आदर्श सबके लिए,

स्वीकार करता है तब इसको ईश्वर भी,

गाये जाते है ऐसे प्यार के तरानें लोगों द्वारा।


यह प्यार,

जब इसमें नहीं होती है चाहत,

दौलत - महलों - वासना की,

बदला किसी से लेने की ,

नहीं छुपी होती है इसमें जब, 

चालाकी- दगाबाजी- बेवफाई,

तब कहलाता है यह सच्चा, 

पवित्र प्यार सबकी जुबां से।


यह प्यार,

किया है मैंने भी किसी को,

और लुटाई है इस पर मैंने,

अपनी दौलत- इज्ज़त दिल से,

मगर गुमराह था वह दिल,

और समझ नहीं सका मेरे दिल को,

लेकिन कर दिया अमर मैंने यह प्यार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract