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PUSHPENDRA PAL

Abstract

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PUSHPENDRA PAL

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यह लड़की बड़ी मुँहचाल है

यह लड़की बड़ी मुँहचाल है

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घर में पूजा नहीं

बाहर दूजा नहीं

मंदिर को छोड़ा नहीं

सास को रखा नहीं


बच्चों को पाला नहीं

समाज को देखा नहीं

ईश्वर को जाना नहीं

ससुराल को पहचाना नहीं


ससुर को छोड़ा नहीं

माँ का फ़र्ज़ निभाया नहीं

बहू का दायित्व समझा नहीं

जनता से प्यार नहीं


चेहरे में सच्ची मुस्कान नहीं

किसानो को चाह नहीं

विकास से मोह नहीं

दादा फ़ीरोज़ याद नहीं


भाई से रक्षा बंदन नहीं

मज़दूरों का खेद नहीं

साधुओं की हत्या का शोक नहीं

पृथिविराज की जयंती में नमन नहीं


श्रद्धा के सुमन नहीं

क्योंकि यह किसी सुल्ताना की जयंती नहीं

राजनीति के अलावा दूसरा विकल्प नहीं

जनता से खेलने का इससे अच्छा मौक़ा नहीं


गाँधी से अब राजनीति नहीं

क्योंकि गाँधी के अलावा,

अनेक क्रांतिकारी को हम भूले नहीं

शास्त्री की मौत का पता नहीं


गुमनामी बाबा को उजागर नहीं

करपात्रि को गोलियों से बौछार नहीं

श्यामा की हत्या नहीं

वल्लभ को प्रधानमंत्री नहीं

७५ में emergency नहीं


नरसिम्हा को सम्मान नहीं

बता Congress क्या यह तेरी चाल नहीं

हार पसंद नहीं, जीत सम्भव नहीं

क्योंकि जनता अब मूर्ख नहीं


इस महिला का कोई भेद नहीं

यह लड़की बड़ी मुँहचाल है।


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