ये बारिश
ये बारिश
जाने क्यों जिंदगी की रफ़्तार थम सी गयी है,
सरपट दौड़ती कार को ब्रेक लग सी गयी है,
बस थोड़ी दूर रह गयी थी मंजिल,
पर क्यों यह बारिश पड़ने लगी है।
यह धरती यह अंबर, सब मेरे लिए है,
दुनिया की सब खुशियाँ, मेरे लिए हैं,
पर क्यों यह बारिश पड़ने लगी है।
उठ! जाग ! यह बारिश नहीं है,
यह है तेरी परीक्षा,
पर तेरी मंजिल नहीं है,
न शक्ति घटी है,
तो यह चिंता क्यों आने लगी है ?
बढ़ना है आगे तो इस मंजिल को छूना है,
यह मंजिल सिर्फ अब मेरे लिए है,
जी करता है इस मंजिल को छू लूं,
बिखेरू खुशियाँ और सबके आंसू ले लूं।
