यादें
यादें
मै जानता नहीं कि आसूं मेरे बाक़ी हैं
कितनों का हौसला बढ़ाते चला
जहाँ जो भी हो, या जितने
मन बहला के लौटूंगा, इकट्ठा करें कुछ यादें
उस सारी गली के और हर कोना,
कुछ मुस्कुराहटें और कई चौराहे।
मै जानता नहीं कि आसूं मेरे बाक़ी हैं
कितनों का हौसला बढ़ाते चला
जहाँ जो भी हो, या जितने
मन बहला के लौटूंगा, इकट्ठा करें कुछ यादें
उस सारी गली के और हर कोना,
कुछ मुस्कुराहटें और कई चौराहे।