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Sahil Hindustaani

Romance

3  

Sahil Hindustaani

Romance

वो जिस जगह...

वो जिस जगह...

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वो जिस जगह भी जाती है

वहीं दुनिया मेरी बस जाती है

जब भी उठकर वो जाती है

मेरी साँसें धड़कन ले जाती है

उसका रुख जब भी देखता हूँ

इबादत मेरी पूरी हो जाती है

मिलने जब भी आती है

दिन मेरा बना जाती है

ख़यालों में भी जब आती है

वो रात चाँदनी कर जाती है!


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