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Palak Agarwal

Abstract Tragedy

4.5  

Palak Agarwal

Abstract Tragedy

विपदा - " एक सीख"

विपदा - " एक सीख"

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कहूँ तुझे विपदा या कहूँ तुझे राहत

एक तरफ तूने बांध दिया और

दूसरी तरफ दिया आराम


जानती हूं यही चाहता है काल,

और यही चाहती है कुदरत

कोई क्षण - क्षण का लुफ्त उठा रहा तो

कोई क्षण - क्षण का शिकार बनता जा रहा


कोई इसे त्यौहार की तरह मना रहा

और कोई इसे शोक समझ रहा

थम गई है पूरी पृथ्वी

थम गया सारा जहां

थम गया हर इंसान

थम गया ये जहाँ "


कुछ क्षण मिले पृथ्वी को अपने जीने के लिए

और कुछ क्षण मानव जाति को

देखो ! आज प्रकृति ने क्या खूब रूप अपनाया है

खुद को स्वच्छ किया और खुद को फिर से सजाया है"


इतिहास खुद को दोहराता है

वही स्वच्छ निर्मल गंगा,

वही शुद्ध वातावरण,

वही पक्षियों की चहचाहट, 

वही साधारण जीवन फिर से लौट आया है 


पृथ्वीवासियों ! पहचान लो इसे सादा जीवन

उच्च विचार यही जिंदगी का है सार।

एक तरह से यह विपदा

हमें यह संदेश दे रही है कि

परिवार के साथ रहो सादा जीवन जियो !


हर वर्ष कम से कम कुछ निश्चित समय

निकालकर अपने आप को "लॉक डाउन"

मानकर परिवार के साथ एकजुट रहने का प्रण लो ! 


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