वह सड़क
वह सड़क
वह सड़क शायद नज़रो की थी,
बात मेरे दिल की,तेरे दिल तक पहुंची थी ।
बह सड़क शायद धडकनो की थी,
जो बढ़ते हुऐ कूछ कहे जाती थी ।
वह सड़क शायद बंध होठो की थी ,
जो चुप रहकर भी कुछ कहते धे ।
वह सड़क शायद कानो की थी ,
जो दूर से भी दिल की बांते सुनते थे ।
वह सड़क शायद महोबत की थी,
जिस पर मृदुल मन के साथ तुम चलती थी ।
