उठो बेटियों
उठो बेटियों
हँसो ठठा के हँसो बेटियों
मत गुमसुम बन जाओ
शहसवार बन इस जहान में
तुम परचम लहराओ
धर्म की नंगी तलवारों पर
अब हमको ना टांगा जाये,
कोख में डर से सहम सहम कर
अब हमको ना पाला जाए।
पढ़ें लिखें और ख़ूब बढ़े
बन डाक्टर टीचर इंजीनियर,
बिजली सी चमके ख़ुशबू सी
दमके तेरी आभा की चमकार
आधी दुनिया ने भरी हुंकार
संसद में हों हम भागीदार
क़लम कॉपी किताब उठाओ,
अपनी क़िस्मत ख़ुद चमकाओ।
