STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

उफ़! ये गलतफहमियाँ

उफ़! ये गलतफहमियाँ

1 min
214

गलतफहमियों के हाथ पाँव नहीं होते
ये हमारे आपके मन की उपज होते हैं।
जब कभी हम उद्वेलित हो जाते हैं
सोचने समझने की शक्ति खो देते हैं
या यूँ भी कह सकते हैं 
स्वार्थ की आड़ में हम खुद 
गलतफहमियों को अपना हथियार बना लेते हैं।
सच जानना ही नहीं चाहते हैं
जो भी खो रहे हैं हम, 
उसका एहसास तक नहीं करना चाहते हैं।
गलतफहमियों का शिकार हो
बहुत कुछ खोते भी हैं
पर गलतफहमियाँ दूर करने का
तनिक प्रयास भी नहीं करते हैं।
और जब बहुत देर हो जाती है
तब माथा पकड़कर कहते हैं
उफ! ये गलतफहमियां थीं
जिसका हम शिकार हो गए 
तब बस! हाय करके रह जाते हैं।

सुधीर श्रीवास्तव 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract