त्योहार से महोत्सव तक
त्योहार से महोत्सव तक
कुछ लोग साथ खुशी के त्योहार मना ही नही पाते।
त्योहार आते है उनकी जिंदगी में भी,
लेकिन वह उन्हें जिंदगी से बहाने बना ।
यह हो गया... वो हो गया।
कह कर टाल जाते है....... मना ही नही पाते।
कुछ लोग खुश न भी हो औरों के लिए,
अपना दुःख भूलकर खुश हो कर त्योंहार मनाते है।
जिंदगी के साथ कितने भी गिले क्यों न हो।
सब भूला थोड़ी देर ही सही।
खुश हो कर त्योहार मनाते है।
कुछ लोग त्योहार को अन्य दिनों-सा बिताते हैं।
<p>क्योंकि त्योहार अपने परिवार के साथ सजते है।
और वो अपनी जिंदगी में अकेले रह जाते है।।
बीते वक्त में मनायें त्योहारों को भूल नहीं पाते है।
बस आते- जाते त्योहारों को देखते रह जाते हैं।
कुछ लोग हालातों से लड़कर ,
अंधेरों में रोशनी की उम्मीद जगाते हैं।
जिन की जिंदगी से त्योहार रूठ गये हो.....
उनके लिए त्योहार मनाने की वजह जुटाते है।
वक्त के झंझावातों में रूठ गई जिनकी खुशियाँ।
त्योहार उन्हें जीवन से जोड़ महोत्सव बन जाते है।