STORYMIRROR

Kishan Panchal

Abstract

2  

Kishan Panchal

Abstract

तुम ना मिले

तुम ना मिले

1 min
132

आज यादों के संदूक से कुछ खत मिले

कुछ अधूरे से, तो कुछ पूरे मिले

कुछ में कहीं प्यार छिपा था

तो कुछ में छोटा सा झगड़ा छिपा था

ढूँढा मैने शिद्दत से तुम्हें बहुत

तब मुझे मुश्किल से भी तुम ना मिले


वक़्त की सिल्वटों में लिपटे लम्हे मिले

कुछ अल्फाज़ मिले कुछ ख़्वाब मिले

कुछ में थोड़ा सा पागलपन मिला

तो कुछ में थोड़ा सी मदहोशी मिली

बहुत तलाशा मैने दिल से तुम को

मगर तब भी मुझे तुम ना मिले



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract