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Eisha Gohil

Abstract

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Eisha Gohil

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तलाश

तलाश

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मालूम नहीं है हुआ क्या है 

दुआ में दुआ क्या है,

मोहब्बत से महरूम इस जिंदगी में,

जीने की वजह क्या है


आसमान रुका सा है

चाँद को समेटे हुए 

उसको पूछो इस अंधेरे में 

रोशनी का अक्स कहाँ है 


कुछ दोस्तों के यकीन पर 

फिर उठ खड़ा हूं रात में 

ढूंढ रहा हूं उस शख्स के 

दिल में गिला क्या है 


मुझे साजिशों ने नहीं तोड़ा,

इतना उनमें कहाँ दम था,

बस जीने की वजह में अब,

साँसों का ज़िक्र कहाँ है.....


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