STORYMIRROR

Mahavir Uttranchali

Inspirational

3  

Mahavir Uttranchali

Inspirational

थे गुर्जर-प्रतिहार के, सम्राट मिहिर भोज

थे गुर्जर-प्रतिहार के, सम्राट मिहिर भोज

1 min
370

थे गुर्जर-प्रतिहार के, सम्राट मिहिर भोज

तेज चमकता सूर्य सम, मुखमण्डल पर ओज

‘आठ सौ पचासी’ तलक, रहा आपका राज

‘आठ सौ छत्तीस’ बने, मिहिर जी महाराज 

उत्तर में थी नर्मदा, हिम का पर्वतराज

पूरब में बंगाल तक, थे मिहिर महाराज 

मिहिर भोज प्रतिहार के, शासक बड़े महान

मुस्लिम हमले रोकते, बढ़ी राष्ट्र की शान 

मिहिरभोज के राज में, उत्तम सिक्के वाह

विष्णु उपासक को मिला, नाम ‘आदिवाराह’

पुत्र महेंद्रपाल बने, राजा इनके बाद

पिताश्री रामभद्र थे, सदैव उनको याद 

_________________________

*सम्राट मिहिर भोज के काल के सिक्कों पर ‘आदिवाराह’ की उपाधि मिलती है, जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि ये विष्णु के उपासक थे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational