तेरा ना बदला है
तेरा ना बदला है
देख नारी तू खुद ही सोच
तू अबला है या सबला है,
इस दुनिया की नजरों में
अभी स्थान तेरा ना बदला है
तेरी ख़ामोशीसे तेरे ही
अरमान चुरचुर होते हैं,
तू बोली तो सारी दुनिया के दुःख
यूँ दूर दूर होते है।
तू तो अपने काम में ही
हरदिन व्यस्त रहती हैं ।
जरूरतों को तेरी करके अनदेखा
ये दुनियाँ मस्त रहती है।
देख नारी तू तो अब भी
थोड़ी सी अधुरी अधुरी है,
चल उठ दुनिया को दिखा
की तुझे दम कितना हैं।
सारी उम्र दर्द हँसकर तू
सहती रहती हैं,
खुद अपनी तबाही अपने ही
आँखों से देखते रहती हैं।
चल उठ अब बस पगली
लाज का ये जो ओढा परदा हैं,
तुझसे ही शुरु और तुझसे ही
खत्म अब ये दुनिया हैं।