तभी तो सच्चा देशभक्त कहलायेंगे
तभी तो सच्चा देशभक्त कहलायेंगे
15 अगस्त को भारतवर्ष की आजादी का जश्न मनाएंगे।
भारत की शान में तिरंगा भी लहराएंगे
जवानों के आगे नतमस्तक हो जाएंगे
यही नहीं देशभक्ति से ओतप्रोत गीत भी सुनाएंगे।
शायद केसरिया सफेद रंग से रंग ले अपने गाल
या फिर या फिर के म्यूजिक लगा डांस करक मचाएंगे खूब धमाल
लेकिन मेरे मन में मचल रहा है एक सवाल
दिखा रहे जो इतना उत्साह, क्या वाकई हम आजाद हैं?
आंखों पर रंगीन चश्मा ,लिए हाथ में कीमती मोबाइल।
देखो तो युवा पीढ़ी का यह नया स्टाइल!
पैरों में जूते, तन पे ब्रांडेड पोशाक!
सोच रहे हैं, बन गए हैं हम बाबू साहब!
आजादी का यही मतलब समझे है जनाब?
शराब जुआ जैसे व्यसनों के गुलाम
लगता है
आजादी को करने आए हैं नीलाम
देश में फैली कुरीतियों जैसे child labour
क्या हमारे freedom fighters करते इसका favour?
आज हम हाथ पैर से हो गए इतने मजबूर
खेलने कूदने की उम्र में बना दिया है बच्चों को बाल मजदूर
बुजुर्ग होकर मजबूर ओल्ड एज होम में रहते हैं
क्या इसी को हम आजादी कहते हैं?
लॉकडाउन में रहकर भी नहीं समझ पाए आजादी की कीमत?
फ्रीडम तो है एक बहुत बड़ी नेमत
किस ओर जा रहा है मेरा भारत
इसको देखकर होती हूं आहत
तनाव में जकड़े हुए हैं
कुरीतियों और बुराइयों को मिलकर करें खत्म
मेड इन इंडिया अपनाएं
देश की प्रगति में हाथ बढ़ाएं बढ़ाएं
लड़की पढ़ाएं लिखाएं और उन्हें शिक्षित बनाएं
क्योंकि आजादी सबको प्रिय होती है
सच्ची आजादी की गाथा तो घर से ही शुरू होती है।
मिल कर दे आजादी को एक नया अर्थ
तभी तो कहलाएंगे हम एक सच्चे देशभक्त
तभी तो कहलाएंगे हम एक सच्चे देशभक्त
