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Sudhir Bamola

Inspirational

4  

Sudhir Bamola

Inspirational

सूखे पत्ते

सूखे पत्ते

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वक़्त की शाख पर

सूखे पत्ते लगे हैं

ज़रा सी सरसराहट से

थरथरा उठते हैं

कभी मौसम की मार

कभी खिसकता आधार

सब कुछ झेल रहे हैं

जब भी शीतल पूर्वाई में

हरे पत्ते लहलहाते हैं

ये भी चहकने लगते हैं

किसलय की भांति

पर हरे पत्तों को तो

जैसे ये खटकते हैं

उन्हें शाख के 

बदरंग होने का

डर सताता है

या अपने वर्चस्व का

कौन जाने ?

पर सूखे पत्ते

अपना अनुभव 

बाँटना चाहते हैं

और कहना चाहते हैं 

जो गलतियाँ हमने कीं 

वो तुम न दोहराना

मगर हरे पत्ते

सोचते हैं

कि वो इतने

मजबूत हैं

की कभी सूखेंगे नहीं

शायद वो ये नही जानते

की सूखा होना

महज़ एक प्रक्रिया है 

वक़्त आने पर 

वो भी सूख जाएंगे

और नए हरे पत्ते

उनके सामने

अकड़ के सर उठाएंगे।



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