मैं गज़लें लिखने पढ़ने का शौकीन हूं
वक़्त की शाख पर सूखे पत्ते लगे हैं ज़रा सी सरसराहट से थरथरा उठते हैं। वक़्त की शाख पर सूखे पत्ते लगे हैं ज़रा सी सरसराहट से थरथरा उठते हैं।
वक़्त की शाख पर सूखे पत्ते लगे हैं। वक़्त की शाख पर सूखे पत्ते लगे हैं।