सुन ले रे प्राणी
सुन ले रे प्राणी
जग में आया रोता हुआ तू, जग से तूने क्या पाया है?
इस माटी के सुख के कारण, कितना पाप कमाया है?
जान है जब तक की मनमानी, जो चाहे वह कर ले।
जाएगा जिस दिन जग से प्यारे, क्या होगा फिर समझ ले?
अभी छोड़ दो पाप को प्राणी
सुन लो यह अमृत वाणी
कहे कृष्णा गीता वाणी
सुन ले रे प्राणी
सुन ले रे प्राणी
दो पल की है यह जिंदगानी
सुन ले रे प्राणी
सुन ले रे प्राणी
1
काहे चिंता करता है, काहे व्यर्थ ही डरता है।
कौन तुझे मार सके हैं, कौन मिटा सकता है।।
आत्मा तो है अविनाशी, ना जन्मे ना मरता है।
एक देह को त्याग के, दूसरी देह में बसता है।।
छोड़ दे तू, अपनी मनमानी।
कहे कृष्णा गीता वाणी
सुन ले रे प्राणी
सुन ले रे प्राणी
दो पल की है यह जिंदगानी
सुन ले रे प्राणी
सुन ले रे प्राणी
कहे कृष्णा गीता वाणी
सुन ले रे प्राणी सुन ले रे प्राणी
२
जो हुआ हो रहा अच्छा है, जो होना है वह होवेगा।
भूत भविष्य की चिंता ना कर, आज में जी सच पावेगा।।
क्या गया जो रोता है, क्या लाया था जो खोया है।
खाली हाथ तू जागा था, खाली हाथ ही सोया है।।
झूठे जग की झूठी कहानी।
कहे कृष्णा गीता वाणी
सुन ले रे प्राणी
सुन ले रे प्राणी
दो पल की है यह जिंदगानी
सुन ले रे प्राणी
सुन ले रे प्राणी
कहे कृष्णा गीता वाणी
सुन ले रे प्राणी सुन ले रे प्राणी
३
जो कल था उसका आज है तेरा, परसों होगा और किसी का।
इसे अपना मान कर मग्न ना हो, यही कारण है दुख का।।
आना जाना तो रीत है जग की, मौत ही तो जीवन है।
किसने देखा है कल को, कल का क्या मन है।।
कल की माया, किसी ने ना जानी।
कहे कृष्णा गीता वाणी
सुन ले रे प्राणी
सुन ले रे प्राणी
दो पल की है यह जिंदगानी
सुन ले रे प्राणी
सुन ले रे प्राणी
कहे कृष्णा गीता वाणी
सुन ले रे प्राणी सुन ले रे प्राणी
४
तेरा मेरा अपना पराया, मन से अपने भुला दो।
सब मेरे हैं मैं सबका हूं, ऐसा मन बना लो।।
ना देह मेरा ना में इसका, पंच भूतों की यह माया।
और भटक ना गीता रस पीले, श्री कृष्ण करेंगे छाया।।
जिसने पी उसी ने जानी।
कहे कृष्णा गीता वाणी
सुन ले रे प्राणी
सुन ले रे प्राणी
दो पल की है यह जिंदगानी
सुन ले रे प्राणी
सुन ले रे प्राणी
कहे कृष्णा गीता वाणी
सुन ले रे प्राणी सुन ले लो पानी
दो पल की है यह जिंदगानी
सुन ले ले प्राणी सुन ले रे प्राणी।