सुगंध
सुगंध
पुष्प वाटिका से भरे बाग़ -बगीचे खुशबू बिखेरते हैँ,
उनकी खुशबू की छाप से ये संसार आनंदित है,
बिना पानी वह मुरझा जायेंगे,
सींचने पर वह जी जायेंगे,
तभी रिश्तों में एक पुष्प एक बाण के समान है,
तभी उसकी महत्वता का प्रसारण भी धमाकेदार है,
बिना पानी वह कष्टों से घिरे रहेंगे,
छवि को तो जैसे वह खो बैठेंगे,
खूबसूरती को देख हर किसी का मन हर्षित होने लगता हैँ,
तुझे देख मेरा मन जैसे बहकने सा लगता हैँ,
पुष्प की सौगंध तो सारे संसार में प्रख्यात है,
जिसको जान मेरा मन भी आनंदित हैँ,
परफ्यूम से शरीर में फैले कीटाणु का सर्वनाश भी संभव है,
तभी तो लोग परफ्यूम के जादू से हुए परिचित हैँ,
माँ के हाथ से बनते पकवान में इसकी महानता निर्मित हैँ,
रसोई में महिलओं का विश्वास से ही तो जीवन आनंदित हैँ
जादू के बिना सफर शायद संभाव न हों,
परफ्यूम के बिना शायद हमारा कल ना हो,
इसकी सौगंध को ग्रहण करके तो देख,
समय की महत्वता को समझ कर तो देख,
समय की कमी में उपयोगी सिद्ध होगा,
आगे चलकर परफ्यूम के जादू का उठता शोर होगा,
बूढ़े हों या जवान सब पर इसका जुनून सवार होगा,
न जाने क्यों हर कोई परफ्यूम से कल मशहूर होगा,
आजकल तो तोहफों में भी इसकी बढ़ती डिमांड है,
जाने क्या जादू है इसमें जो इसकी बढ़ती शान हैँ,
बदलते दौर के साथ इस की दुकानें भी शानदार है,
परफ्यूम से सजी हुई दुकानों में इसके दाम भी जोरदार हैँ,
सुगंध से महत्वता को दर्शाने की कोशिश थी,
मेरी कविता में बस इतनी ही पंक्तियां थी...