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Meetu Chopra

Abstract

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Meetu Chopra

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सहनशीलता की पहचान..

सहनशीलता की पहचान..

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आग्नि से लिप्त रास्तों पर चलकर जो, 

 हमको सुकून भरी नींद दे जाता है, 

तेज़ से जिसके परिवार का हौसला, 

 हिमालय की चोटी को छू जाता है, 


मेहनत की ताकत से परिपूर्ण जो निरंतर, 

आगे बढ़ अपने जीवन जीने के

नये रास्ते तलाश पाता है, 

फौलादी सीने से जो हर, 

इम्तेहान में बादशाह कहलाता है, 


माथे पर जिसके मेहनत का 

तेज़ दिखाई दे जाता है, 

घर जिसकी छाया में निर्माण, 

की ओर अग्रसर हो पाता है, 


कड़वी बोली में जिनके,

भलाई का रस मिल जाता है, 

परिश्रम से जिनके, 

हर कोई परिचित हो पाता है, 


ज्ञान का किरणों से जो, 

हमारे जीवन में सुख का रस खोल जाता है, 

दिशा से जिनकी, 

आँखों पर पड़ा पर्दा हट पाता है, 


ताल से जिनकी हमें जीना,

का नया हौसला मिल जाता है, 

कन्या दान से जिनका 

सीने शान से भर जाता है,.


ललकार से जिनकी, 

घर में तहलका माच जाता है, 

उस पहचान को हमारा सलाम है, 

धीरज की तस्वीर को हमारा प्रणाम है, 

घर के संचालक को हमारा नमस्कार है, 

घर की उस ढाल को हमारा सलाम है, 

घर के उस शिखर को हमारा शत-शत नमन है.... 


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