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स्त्री

स्त्री

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गढ़ दी गयी कविताएं
स्त्री के भूगोल पर
चर्चाएं, आँख, कमर वक्ष पर खूब की गयी

स्त्री का इतिहास भी
अछूता नही रहा
देवी से लेकर दास तक की गाथा
खूब लिखी गयी

मनोविज्ञान भी स्त्री का खूब समझा गया
त्याग, करुणा, समर्पण
तो कभी, इर्ष्या, लोभ और षड्यंत्र से सजायी गयी

समाजिक रिश्तों में भी स्त्रियाँ समझी गयी
माँ, बहन, पत्नी, प्रेमिका और रखैल

सिर्फ समझा न गया, तो
"स्त्री" का "स्त्री" होना
जो उसकी एकमात्र पहचान थी।


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