स्त्री
स्त्री
स्त्री है वह कुछ भी कर सकती है
तुम्हारी खुशी के लिए अगर मर सकती है
तो अपने हक के लिए भी वह लड़ सकती है
इन्हें सारे कामों में आगे पाया जाता है
इनके वजह से ही तो एक मकान को
घर बनाया जाता है
सब कुछ सह लेती है यह हंसते-हंसते
अपने मां-बाप तक को छोड़ देती है
उनकी खुशी के वास्ते
वरना कौन सा आता है
अपने मां-बाप से दूर होना
बोलने वाले तो बोल देते हैं
रुखसती में होता है रोना-धोना
हिम्मत की बात करें तो किसी से कम नहीं होती हैं
इतना कुछ सहने के बाद भी
उनके चेहरे से खुशी कम नहीं होती है
हर मोड़ पर बस तुम इतनाउस पर एहसान करना
कभी भी किसी स्त्री को बेवजह ना तुम बदनाम करना
किसी स्त्री के बारे में गलत सोचने से पहले इतना मान रखना
तुम्हें भी जन्म एक स्त्री ने दिया है उसका सम्मान रखना।
