STORYMIRROR

Zohra Ahmed

Abstract

4  

Zohra Ahmed

Abstract

स्त्री

स्त्री

1 min
608

स्त्री है वह कुछ भी कर सकती है

तुम्हारी खुशी के लिए अगर मर सकती है

तो अपने हक के लिए भी वह लड़ सकती है

इन्हें सारे कामों में आगे पाया जाता है


इनके वजह से ही तो एक मकान को

घर बनाया जाता है

सब कुछ सह लेती है यह हंसते-हंसते

अपने मां-बाप तक को छोड़ देती है

उनकी खुशी के वास्ते


वरना कौन सा आता है

अपने मां-बाप से दूर होना

बोलने वाले तो बोल देते हैं

रुखसती में होता है रोना-धोना


हिम्मत की बात करें तो किसी से कम नहीं होती हैं

इतना कुछ सहने के बाद भी

उनके चेहरे से खुशी कम नहीं होती है


हर मोड़ पर बस तुम इतनाउस पर एहसान करना

कभी भी किसी स्त्री को बेवजह ना तुम बदनाम करना

किसी स्त्री के बारे में गलत सोचने से पहले इतना मान रखना

तुम्हें भी जन्म एक स्त्री ने दिया है उसका सम्मान रखना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract