स्त्री
स्त्री
उसकी उदास आंखों में,
पढ़ने की कोशिश करना
हर वो शब्द जो उसकी जुबान पर
आते ही ठहर जाता है।
जब योग्यताएं उसकी
तौल दी जाती हैं,
रंग रूप के तराजू पर।
हर किरदार निभाते
जब वो भूल जाती है
अस्तित्व अपना।
कभी बैठना उसकी आत्मा टटोलने
फिर जानोगे स्त्री होना कहां सरल है ?