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Garima Shukla

Inspirational

4.6  

Garima Shukla

Inspirational

स्त्री : तुम महान हो

स्त्री : तुम महान हो

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तीज और त्यौहारों पर

बीमार रहते हुए भी तुम

निर्जला व्रत रखती हो

उपवास करती हो तुम,

पूजा पाठ करते हुए 

कभी बच्चों तो कभी पति

कभी सास - ससुर के जीवन के लिए

प्रार्थनायें करती हो स्वस्थ रहने की

हमेशा उनके लिए ही कामना करती हो तुम,


मुझे पता है तुम उस पति के लिए भी

निर्जला व्रत रखती हो जो आये दिन

शराब के नशे में तुम्हारे साथ

जानवरों से भी बुरा बर्ताव करता है !


मारता है पीटता है और

गंदी गालियाँ देते हुए और पीने के लिए, 

और पैसे भी मांगता है!

पर तुम इसके बाद भी !


उसकी लंबी उम्र के लिए 

;

प्रार्थना करती हो

और प्रार्थना करती हो

उस बेटे के लिए

जो जाने - अनजाने तुम्हें !


ठेस पहुंचाता रहता है

और तुम हर बात की अनदेखी कर

उसके कल्याण के लिए,

मन ही मन मनौती करती रहती हो।


तुम उस सास की लंबी आयु के लिए,

भी कामना करती होजो देती है तुम्हे ताने हजार,

जो नहीं करती,औरत होके भी तुम्हारा सम्मान,

तुम्हें क्या नाम दूँ !

देवी माँ, पत्नी भगिनी या औरत !

जो भी हो तुम महान हो।


तुम पर ही गृहस्थी का

सार है संस्कार है

तुम ही घर को स्वर्ग बनाती हो।

तुमसे ही सारा संसार है

तुम महान हो।


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