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prashant bhoybar

Action Inspirational

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prashant bhoybar

Action Inspirational

सोचता हूँ कुछ लिखूं।

सोचता हूँ कुछ लिखूं।

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भुखों के नसीब में दो वक़्त की रोटी लिखूं

बुढे लोगों को सहारा दे वो लाठी लिखूं 


सोचता हूँ अनाथों के लिए नाथ लिखूं

जिनकी दुनिया मे हर तरफ अंधेरा है उनके लिए आंख लिखूं


सोचता हूँ जिसके हाथ नहीं वो हाथ लिखूं

दुनिया मे अकेला है जो उसके लिए साथ लिखूं


सोचता हूँ सुके जमिन को बारीश लिखूं 

किसान कभी जान ना दे ऐसी साजिश लिखूं


सोचता हूँ सही सलामत मेरे जवानों के प्राण लिखूं

देखा है जो सपनों मे हमने सारे जहां से अच्छा मेरा "हिंदुस्तान" लिखूं।


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