संदेश
संदेश
एक संदेश देश की बेटियों के नाम
के बचपन से बस नादान नहीं,
साथ-साथ सयानी बनो,
जो मैले विचारों से छुए वो राख हो जाए,
ऐसी तुम जवानी बनो।
यह आजकल के मजनूँ कोई कृष्ण नहीं है,
तुम ना मीरा सी इनकी दीवानी बनो।
अपने पापा की आंखों का गौरव हो तुम,
मां की आंखों से बहता ना पानी बनो।
सिर्फ दरिया की मौजे सुहानी नहीं,
तुम समंदर में आती सुनामी बनो।
अब जरूरत नहीं तुम बनो मोम सी,
है जरूरत की दिल से मजबूत तुम चट्टानी बनो।
सिर्फ पापा की गुड़िया रानी नहीं,
वह बनी थी जो मिसाल एक वक्त,
उस लक्ष्मी बाई सी रानी बनो।
जो करते हैं अपमान उन्हें करने दो,
तुम खुद अपना सम्मान बनो।
करने दो समा
ज को खुद पर गुमान,
तुम खुद अपना अभिमान बनो।
दुशासन इस इस दौर के हर दिन तुम्हें डराएंगे,
कभी चीर हरेगा दुर्योधन,
कभी रावण हरने आएंगे।
इस कलयुग में रक्षा करने कोई गोविंद ना आएंगे।
खुद शस्त्र उठा रक्षण कर लो,
तुम खुद ही अपनी ढाल बनो।
मत बनो सदा माता सीता,
दुर्गा बन अब संहार करो।
मर्यादा में बंधी काशी नहीं
निर्भय साहसी मस्तानी बनो।
बन चुकी बहुत ममता की मूरत,
है जरूरत की वीरता की अब तुम कहानी बनो।
यह शर्माना नजरें झुकाना भी ठीक है लेकिन,
इस दौर की जरूरत है कि तुम सिर्फ जनानी ही नहीं मर्दानी बनो।
सिर्फ पापा की गुड़िया रानी नहीं वीर लक्ष्मी बाई सी रानी बनो.........