"समय"
"समय"
मैं तो केवल एक तथ्य हूं
सदियों से बदनाम हुआ हूं,
किसी एक के नहीं सभी के
हाथों से मैं छला गया हूं।
भला, बुरा, बीता और गुजरा
दगाबाज धोखा देता हूं,
कभी किसी का नहीं हुआ
हर दम ये सुनता रहता हूं।
बिना किसी उपनाम के मेरी
अपनी कोई पहचान नहीं है,
रोया और हंसा इकले ही
तुमको ये भी ज्ञात नहीं है।
सदियों इतिहासों में दबकर
तेरे हाथों पलटा जाता हूं,
भला बुरा सुनता रहता हूं
पर फ़िर से वापस आता हूं।
मैं तो सिर्फ 'समय ' हूं तेरा
कभी नहीं बीता करता हूं
मेरी तो पहचान तुम्हीं हो
मैं तुमसे कब जीता करता हूं ……!!
