स्कूल में मेरा डर
स्कूल में मेरा डर
मैं 15 साल था और मैंने एक स्कूल से दूसरे स्कूल में दाखिला लिया था। मैं बड़ा ही खुश था। नये स्कूल में जाने के लिए। पूरी रात यही सोचता रहा कि कब सुबह होगी मैं स्कूल जाऊंगा। वहां के शिक्षक कैसे होंगे वहां के नये नये बच्चों से मिलूंगा भाई यही सब सोच सोच कर रात भर मुझे नींद नहीं आई और यही सब सोचने में सुबह हो गई। चलो अब जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था आखिर वो आही गया। फटा फट मैं नहाया खाना खाया।
अपनी जैसी तैसी टूटी फूटी पुरान धुरान सायकिल थी लिए चल पड़े। अब धीरे धीर धीरे धीरे साइकिल चलाया जा रहा हूं सोचा जारहा हूं कि वहां टीचर कैसे होंगे मारेंगे तो नहीं कहीं कुछ कहेंगे तो नहीं अब ऐसा लगता है कि मैं ही हूं पूरे स्कूल में जो टीचर की नजर मेरे पर ही पड़े । पर क्या हुआ जब कोई कहीं नया नया जाता है तो उसको लगता है कि वहां वह एक अजनबी होगा। चलो कोई बात नहीं जो मेरे दिमाग में आया मैंने सोचा। भाई स्कूल के गेट पर पहुंचा। अरे बाप रे क्या भीड़ है।मेरी तो दिल की धड़कन तेज हो गई। कितने बच्चे हैं।
चलो देखते हैं आगे क्या होता है। भाई जैसे तैसे अंदर गया। जैसे जैसे अंदर जा रहा था।ऐसा लगता था कि सब मेरी तरफ ही देख रहे हो। ये लगता है चाहे वो दूसरे को ही क्यों न देखें। भाई अपनी पुरानी टूटी फूटी साइकिल लेकर अंदर गया । अब सोच रहा हूं कि ये अध्धड सायकिल कहां खड़ी करूं। क्योंकि साइकिल दो कतार में खड़ी थी। लेकिन कभी कभी भगवान भी साथ दे देता है। मैं ये सोचा ही रहा था। कि एक लड़का आया और अपनी साइकिल खड़ी करके चला गया।
अब मैंने भी अनु
भव किया की लड़कों के लिए यही कतार होगी। साइकिल खड़ा किया और क्लास की और लड़खड़ाते कदमों से पहुचां। अब पहली बार जब कोई कहीं जाता है तो उसके मन में कहीं न कहीं डर बनी होती है। वही डर मेरे अंदर भी बनी थी। चलो क्लास में बैठा शिक्षक आए। भाई टीचर ने अटेंडेंस लगाना शुरू किया। मेरे अंदर तो इतनी खौफ थी कि में अपना अटेंडेंस ही भूल गया।
चलो एक दिन में कुछ नहीं होता। भाई दूसरे दिन भी जल्दी से उठा,नहाया, खाया आकर क्लास में बैठ गया । फिर की तरह टीचर आए और अटेंडेंस लगाया। लेकिन अब की बार मैंने अपना पूरा का पूरा ध्यान अपने अटेंडेंस पर ही कर रखा था। अटेंडेंस हो गया।
अब धीरे -धीरे लड़के पूछने लागे पता वता। सब बात हुई। अब तो पहले वाला डर भाग ही गया। अब सब मिल जुल कर पढ़ाई करने लगे। भाई मैं खूब अच्छे से पढ़ाई करता रहा। धीरे धीरे एग्जाम का समय भी पास में आया। सभी बच्चों ने एग्जाम दिया मैंने भी दिया भाई कुछ समय बाद एग्जाम का परिणाम घोषित हुआ। वाह क्या बात है। एग्जाम के परिणाम घोषित होने पर पता चला कि मैं तो पूरे स्कूल में प्रथम स्थान पर हूं। बहुत खुशी हुई सभी बच्चों ने मेरा सम्मान किया। मेरे सभी शिक्षकों ने भी मेरा सम्मान किया । मैं खूब खुशी था। पूरे स्कूल में प्रथम स्थान प्राप्त करने के कारण मुझे वहां के प्रधानाचार्य ने एक अच्छी सी साइकिल दी। फिर मैं अपनी इस नई साइकिल से आने लगा।
उसी दिन से स्कूल के सभी लोग मेरा सम्मान करने लगे।
कहते हैं, मेहनत का फल बहुत ही मीठा होता है। आज नहीं तो कल। मेहनत करो फल की आशा मत कारो।