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meghna dwivedi

Abstract

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meghna dwivedi

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सीता के लिए राम

सीता के लिए राम

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ऑफिस की भागम भाग में

खाली कांफ्रेंस रूम की चाह में


एक नया ठिकाना ढूंढ़ने को

विश्वास का आशियाना बनाने को


किसी अपने की तलाश में

जो ठहरे मेरे लिए इस डूबती नाव में


दिया लेके निकले हैं घडी को भुलाने को

कई ऐसे मिले जो कहते थे काबिल अपने आप को

लेकिन रुक ना सके वो उस तूफानी रात को


कैसे लिख दूँ मैं अपना भाग्य उस किताब में 

जिसको ना भर सकूँ में अपने हर रंग से


डगमगाते हुए हम फिर भी चलते रहे उस राह को

पूछते रहे की कहाँ से लाये थे सीता के लिए राम को ?


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