सीमन्तिनी उठो..जागो
सीमन्तिनी उठो..जागो
सीमन्तिनी (नारी)उठो ...जागो
अभी बहुत दूर सफर तय करना है।
मिलेगी राहों में कण्टकमयी पथरीली पगडंडी ,,
दिखाई देंगी तुम्हें असीमित खतरे की झंडी
सबको पैरों तले कुचलकर अपने
जय का परचम लहराना है।
सीमन्तिनी उठो....जागो
बहुत दूर सफर तय करना है।
तूफ़ानों का सीना चीरते हुए
दहकती प्रदीप ज्वाला पर
अथक निरंतर कदम बढ़ाते हुए ,,
निस्सीम क्षितिज की अनंत गहराई में
अपने लक्ष्य का तीर भेदना है।
सीमन्तिनी उठो....जागो
बहुत दूर सफर तय करना है।
चरित्र पर उंगली उठाने वाले कुत्सित लोग देंगे तुम्हें यातना,,
रूढ़िवादी, परंपरावादी वाले करेंगे तुम्हारी अवहेलना।
तमाम उपेक्षाओं को नजरअंदाज कर
हिय में जगाकर आत्मबल की लौ
खुद को सबल-अटल स्वाबलंबी बनाना है,,
सीमन्तिनी उठो ...जागो
अभी बहुत दूर सफर तय करना है।
समाज में व्याप्त कलुषित लैंगिक भेदभाव की दोहरी नीति,
लुट रही नारी की अस्मत,डर के साए में कैद स्त्री की नियति
तुम वीरांगना, तुम देवशी, तुम सृष्टि सृजन की दृढ़ हस्ती
समाज के इस कुत्सित मानसिकता को मिटाकर
अपने बुलंद हौसले से नए समाज का निर्माण करना होगा,,
सीमन्तिनी उठो ...जागो
अभी बहुत दूर सफर तय करना है।
