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Dhruvesh Jain

Inspirational Comedy

1.4  

Dhruvesh Jain

Inspirational Comedy

शतरंज

शतरंज

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जिंदगी का खेल भी शतरंज की बिसात पर है बिछा पड़ा
मुकाबला करने को सामने आपका नसीब खुद ही है खड़ा

हमारा जीवन भी शतरंज के चौसठ खानो में ही है खड़ा
किस्मत का कोई प्यादा सफेद तो कोई काले घेरे में है खड़ा

हर मोहरा बस आपकी एक गलत चाल के इंतजार में है खड़ा
किसी कोने में हाथी तो किसी प्यादे के पीछे घोड़ा आप पर निगाहे गड़ा है खड़ा

यह खेल है शतरंज का
यहाँ जीतने की चाह में खेल को ठीक से सीखा नहीं
बन्द कमरे में जलते दिए ने दिखा दिया रास्ता सही
एक पल को सोचा नहीं
दिया लेकर खड़ा था जो दुश्मन निकला वहीं
और दुश्मन के बिछाए जाल को ठीक से परखा नहीं
निकल पड़े जंग लड़ने को जब धार आपके इरादों में नहीं
जीतना सीखोगे कैसे जब हारना ही सीखा नहीं

हर कोई बस इस सोच में
जीता कैसे जाए
पहले ये तो समझ लो
दुश्मन को जीतने से रोका कैसे जाए

दुश्मन की हर चाल को पहले मापिए
उसके लिए हर फैसले को बारीकी से भापिए

उसके बिछाए प्यादो में
है कपटता भरी पड़ी
यहाँ हर कदम मौत है
फिराक में आपके खड़ी

है हम सब पहिए काल चक्र के
कब कौनसा थम जाए पता नहीं
यह मोहरेंं है किस्मत के
कब कौनसा चल जाए पता नहीं

किस्मत का मोहरा है सबसे अनोखा
ढाई-ढाई चले है वो घोड़ा
मत तोड तू खुद को जब किस्मत ने तन्हाँ छोड़ा
प्यादा भी वजीर बन जाए अगर हौसला है थोड़ा

जिस दिन आप शतरंज के खेल को समझ जाओगे
उस दिन आप जिंदगी का खेल खेलने के काबिल हो जाओगे

 

 


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