श्री राम का पुनः अयोध्या लौटना
श्री राम का पुनः अयोध्या लौटना
काट वनवास राम,लौटे जो अवध में तो।
पूरी नगरी में मानो, दिपावली आई है।
दीप जगमग जले, सब मिल रहे गले।
हर आंगन मैं प्यारी, रंगोली बिछाई है।
खुशी-खुशी प्रजावासी, स्वागत को राम के।
माथे पे पादुका लिए, प्रिय भरत भाई है।
खुशियो की आई बेला,नगर हुआ उजेला।
भावना से भरे आज, मेरे रघुराई है।।
सरयू की गहराई, सीता जी की परछाई।
राम जी के नैनम में ,जानकी समाई हैं।
धरती लोक से प्रभु,सुरलोक पर चले।
तो अवधवासियो की,आंखे भर आईं हैं।
भारी मन लिये राम,किये सब पूर्ण काम।
सुग्रीव भरत संग, शत्रु छोटो भाई हैं।।
चले अब निज धाम,कर सबको प्रणाम।
भावना से भरे आज, मेरे रघुराई हैं।।
