माँ
माँ
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सबके हिस्से का प्यार देती है।
मेरा जीवन सँवार देती है।
जब दवा से भी मर्ज ना उतरे,
माँ नजर भी उतार देती है।
मुझको गीता का, ज्ञान देती है
मेरी हर बात, मान लेती है
खो ना जाऊँ कही जमाने में,
हर घड़ी मुझ पे, ध्यान देती है
लोरी गाकर मुझे, सुलाती थी
रूठ कर खुद ही, मान जाती थी
मेरा बंधन तो माँ से ऐसा है
जैसे दीपक के संग बाती है।
