शिकायत
शिकायत
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जिसे जाना था, वो तो चला गया,
अब उससे शिकायत कैसी।
हवाओं के दम पर दीया रखा था,
जो अब दीया बुझ भी गया तो,
हवाओं से शिकायत कैसी।
जिसे जाना था वो तो चला गया,
अब उससे शिकायत कैसी
जिस मोड़ पर जुदा होना था,
जो वो मोड़ आ ही गया तो,
राहों से शिकायत कैसी।
पतझड़ तो जिंदगी का पहलू है,
जो अब ख़ुशियाँ पत्तों की तरह
गिरी तो,
मौसम से शिकायत कैसी,
जिसे जाना था वो तो चला गया
उससे शिकायत कैसी।
कूदे जो दरिया में, माना कि ग़लती
हमारी थी,
जो अब डूब भी गए तो, दरिया
से शिकायत कैसी,
जिसे जाना था वो तो चला गया,
अब उससे शिकायत कैसी......