STORYMIRROR

Astha Ranjan

Abstract

3  

Astha Ranjan

Abstract

शिकायत

शिकायत

1 min
320

जिसे जाना था, वो तो चला गया,

अब उससे शिकायत कैसी।

हवाओं के दम पर दीया रखा था,

जो अब दीया बुझ भी गया तो,

हवाओं से शिकायत कैसी।


जिसे जाना था वो तो चला गया,

अब उससे शिकायत कैसी

जिस मोड़ पर जुदा होना था,

जो वो मोड़ आ ही गया तो,

राहों से शिकायत कैसी।


पतझड़ तो जिंदगी का पहलू है,

जो अब ख़ुशियाँ पत्तों की तरह

गिरी तो,

मौसम से शिकायत कैसी,

जिसे जाना था वो तो चला गया

उससे शिकायत कैसी।


कूदे जो दरिया में, माना कि ग़लती

हमारी थी,

जो अब डूब भी गए तो, दरिया

से शिकायत कैसी,

जिसे जाना था वो तो चला गया,

अब उससे शिकायत कैसी......



Rate this content
Log in

More hindi poem from Astha Ranjan

Similar hindi poem from Abstract