शिकायत
शिकायत
मुझे शिकायत है अपने आप से,
हमेशा ही मजबूती से आगे बढ़ने वाले मेरे कदम,
किसी कमजोर के साथ खड़े होने पर क्यूँ लड़खड़ा जाते हैं?
मुझे शिकायत है अपने आप से,
लिफ़ाफ़े को देखकर खत का मजमून भाँप जाने वाली मेरी आँखें,
किसी मजबूर की मजबूरी और पीड़ा को क्यों नहीं देख पाती हैं ?
मुझे शिकायत है अपने आप से,
अपने आपको ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति मानने वाली मैं मानवी ,
हर मानव को धर्म, जाति, लिंग आदि से परे मानव ही क्यों नहीं मान लेती ?
