शहीद
शहीद
तुझ से ही जन्मा हुं मै... तुझ में ही मीट जाऊंगा...
सर उठा के तू चल सके... कुछ ऐसा ही कर जाऊंगा...
हम तो पैदा ही हूए है, के तेरी कुर्बत में मर सके...
नम ना हो आंखों के कोने, कल अगर मर जाऊंगा...
वादा है ऐ "मां" मै फिरसे लौट आऊंगा....
जां हथेली पर मै रख के कायरों के सिर काट लाऊंगा...
ईस तरह से ही तो मै तेरे कर्ज को चुकाऊंगा...
कुछ अनकही बातोंको छोड चला हूं...
"मां" के चेहरे पे उमडते उन जज्बातों को छोड चला हूं...
अपनी होनेवाली उन मुलाकातों को छोड चला हूं...
जिन्होने अभी तक मेरी उंगलीया तक नही थामी थी,
उन नन्हे हाथोंको छोड चला हूं...
तेरी मेहंदी के रंग उतरने से पहले टुटे उन कांचो को छोड चला हूं...
मेरी फिक्र मत करना ऐ हमसफर...
शहादत का चोला पहन के तिरंगे मे लिपट के चला हूं...