STORYMIRROR

Ravi Ranjan Goswami

Abstract

3  

Ravi Ranjan Goswami

Abstract

सदा

सदा

1 min
187


उनके होठों पर मेरा गीत कोई आये

कुछ देर वहीं वो ठहर जाये।

उनकी उदासी मुस्कान में बदल जाये।

मेरा गीत यूँ मुकम्मिल हो जाये।

वादियों में एक जमाने से सदा गूंजती है।

मुहब्बत को फिर से बसाया जाये।

नफरतों के बीज बोने बालों को,

बेपर्दा करके निकाला जाये।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract