सबसे प्यारी मेरी मौसी
सबसे प्यारी मेरी मौसी
चेहरे पे ममता की मूरत है जिसकी,
प्यारी और भोली सी सुरत है उसकी।
कभी सहेली तो कभी राज़दार,
विश्वास की बुनियाद पे है
इस रिश्ते का आधार I
कमी ना होने दी कभी खुशियों की,
हर दुःख में है हमIरे घर के द्वार।
दुनिया के रंग सीखे उनसे,
शिकन बिना मुस्कुराना जाना इनसे।
हर रिश्ते को खूब निभाया जिसने,
चोट लगने पे भी हरा नहीं इसने I
बचाया मुझे कई बार डांट से,
सुलझायी मुश्किलें जो थी कठिन गाँठ सी I
धन्य है वह आँगन जिसमे रहे यह लक्ष्मी,
भाग्यवान हूँ में की वह है मेरी मौसी।