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Priyanka Shukla

Abstract

4.9  

Priyanka Shukla

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सबसे प्रिये खेल

सबसे प्रिये खेल

2 mins
322


आप लोग जानते हैं इंसान का सबसे प्रिये खेल क्या है? क्रिकेट? जी नहीं। क्या कहा? फुटबॉल? वो भी नहीं । खो खो, कब्बड्डी? जी नहीं बिलकुल नहीं।

इंसान, मनुष्य की सबसे उत्तम रचना, का प्रिये खेल है - भावनाओं से खेलना।

किसी की भावनाओं के साथ खेल कर स्वयं को विजयसिंहासन पे आसीन पाता है। हँसता है, पर भूल जाता है की जिस पद पर आज वह विराजमान है वो अनिश्चित है। इस पल पल बदलते समाज मे, जहाँ अस्थरिता ही स्थिर है, उसका लक्ष्य बस जीतना होता है।

अब कुछ खेल के रोचक तथ्य - 

इस अनोखे खेल मे एकता नहीं है। आज दो लोगों ने मिलकर एक का हृदय दुखाया, तो कल उन्ही मे से एक ने दूसरे का मन हताश किया। और जो भाग्यशाली व्यक्ति बच गया, वह किसी और का शिकार हुआ। पर शिकार तो किया गया।

यह कब शुरू हुआ, इसका कोई रिकॉर्ड तो नहीं है। परन्तु इसके प्रमाण युगों युगों से मिलते आ रहे हैं। 

खेलने की विधि- यह तो हम आपको जरूर बताएंगे। पहले एक बेवकूफ सा इंसान ढूंढो। मिल जाएंगे। इंसानों की नजर मे स्वयं को छोड़कर सभी बेवकूफ ही होते हैं। हाँ तो अब उस व्यक्ति का विश्वास जीतो, अपने आप को भरोसेमंद साबित करो। कुछ दिनों के बाद, जो विश्वास का पौधा तुमने बोया था । जिसकी जड़ उस बेवकूफ के हृदय मे थी, उसे इ ही झटके मे उखड लो। स्मरण रहे एक ही झटके मे। जितना जोर से उखाड़ोगे उतने ही ज्यादा अंक। उतना ही ज्यादा जीतने का भरोसा। उतने ही अच्छे खिलाड़ी तुम खिलाओगे।

उस व्यक्ति को....मतलब इंसान को...या बेवकूफ को दर्द से करहाने दो । खेल का ही तो हिस्सा है। खेलने वाले खेलते हैं, सहने वाले सहते हैं, यही तो खेल है।


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