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Ashish Tripathi

Abstract

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Ashish Tripathi

Abstract

सब कुछ बदल जाता है

सब कुछ बदल जाता है

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कहने को सब कुछ भूला सा जाता है

पर जहन उसका चेहरा कहाँ जाता है


ढूंढती हैं उसको ये तरसती निगाहे

मानो वो सामने आ कर गुजर जाता है


वो शहर वो रास्ते वो गलियां अब भी वैसे ही हैं

उधर जाने का वो कोई अच्छा बहाना चाहता है


उसका साथ वो प्यार भरी बात एक खूबसूरत एहसास

तन्हाइयों में साथ देने आँखों से निकल आता है


ये जिंदगी का कारवां है चल रहा है जैसे तैसे

जो कभी हद से गुजरता है तो चेहरे पर आ जाता है।


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