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Omi Suryavanshi

Romance Fantasy

4  

Omi Suryavanshi

Romance Fantasy

सावन और श्रृंगार

सावन और श्रृंगार

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प्रकृति का श्रृंगार करता सावन,

रिमझिम बूंदे जब छूती है धरा को।

तो महक उठता है तन मन,

प्रकृति का श्रृंगार करता सावन॥


पेड़ पौधे, नदी झरने,

ताल तलैया, जंगल उपवन।

झूम उठता है प्रकृति का कण कण,

प्रकृति का शृंगार करता सावन॥


ठंडी ठंडी हवाएं,

जब छूती है तन को।

मन हो जाता है नवयौवन,

प्रकृति का श्रृंगार करता सावन॥


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