रंक्षा बंधन
रंक्षा बंधन
अद्वितीय डोर से बांधा जाए
पावन अटूट प्रेम कहलाएं
कुमकुम, अक्षत, चंदन थाल सजाए
रिश्तों का पावन पर्व मनाएं,
लक्ष्मी जी ने बांध रक्षा सूत्र
विष्णु जी को वापस पाया,
महारानी कर्मावती की ख़ातिर
बादशाह हुमायूं ने राखी की लाज बचाया,
चीरहरण के समय किशन ने
द्रोपदी का वसन कर्ज चुकाया,
जीवन भर रक्षा करने को
भाई-बहन का यह श्रावणी पर्व आया,
मुदित मन से बहना ने भी
भर-भर पकवान थाल सजाया ,
तिलक कर आरती उतारे
चिरंजीवी हो ईश से मनाया,
मनभावन है नाम राखी का
भाई ने भी रक्षा का कर्तव्य निभाया,
हृदय, नैनों, शब्दों से मेरे भाई
भर-भर झोली दूं आशीष
पुनि-पुनि पावन मन हर्षाया।।