हिन्दी दिवस प्रतिस्पर्धा नहीं उत्सव" "
हिन्दी दिवस प्रतिस्पर्धा नहीं उत्सव" "
जन-जन जो सहज ,सरल बोले
वह है अपनी न्यारी हिंदी भाषा हैं
कण-कण हिंदुस्तान का बोले
हिंदी हमारी देश की आशा है।।
मन -मधुर- मधुमास है
गाते इसको मीरा सूरदास है
हरिश्चंद्र आधुनिक अवतार है
सुगम ,सुघड़ उर हिन्दी भाषा है
कण-कण हिंदुस्तान का बोले
हिंदी हमारी देश की आशा हैं।।
प्राचीन संस्कृत भाषा की देन है
गवाह सिंधु सभ्यता का काल है
हिंदू से उत्पन्न हिंदी मातृभाषा हैं
कण-कण हिंदुस्तान का बोले
हिंदी हमारी देश की आशा हैं ।।
निजभाषा है गौरव स्वाभिमान है
संतों की वाणी वीरों का सम्म
ान है
एकता के सूत्र में बांधे सबको
हिन्दुस्तानियों की यह परिभाषा है
कण-कण हिंदुस्तान का बोले
हिंदी हमारे देश की आशा है ।।
अतृप्त है अशांत है क्यों जिज्ञासा
आधिकारिक तौर पर उपेक्षित भाषा
कितने वर्ष बीत गए आजादी को
ना समझे जन-जन यह जन भाषा है
कण-कण हिंदुस्तान का बोले
हिंदी हमारी देश की भाषा हैं।।
मिले संबल अपनाएं राष्ट्रभाषा
विश्व पटल पर चमके हिंदी भाषा
हिंदी शान है न हो निराशा
हमकों इतनी सी अभिलाषा हैं
कण-कण हिंदुस्तान का बोले
हिंदी हमारे देश की आशा है ।।