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Somya Tiwari

Inspirational

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Somya Tiwari

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रक्षा बंधन

रक्षा बंधन

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नन्हीं सी थी, तब से भाई की आस थी,

स्कूल में राखी बना तो लेती थी,

पर उस राखी को भी भाई की कलाई की चाह थी।

घर में अकेली संतान थी, प्यार दुलार सब मेरा था,

पर फिर भी अपने बचपन की तलाश थी।


उस तोतलाती ज़ुबान से रोज़ भगवान से

फ़रियाद करती थीं,

कि मुझे एक प्यारा भाई देना,

फ़रियाद देर से ही सही, पर पूरी हुई ,

भाई के रूप में मेरी सारी तमन्नाएं पूरी हुई।

रक्षाबंधन पर खिलौने वाली राखी से खुश हो

जाता था,

दीदी कहने की जगह मुझे नाम से बुलाता था।


छः साल के बाद वापस बचपन में लौट गई थी 

उस भाई के संग वापस बच्ची बन गई थी 

वो अब भी मेरे हिस्से की चॉकलेट खा जाता है

राखी के दिन पूजा की थाली में से

सारी मिठाई अकेले खा जाता है 

राखी भले अब वो खिलौने वाली नहीं,

मेरी पसंद की पहनता है,

पर घर में दादागिरी अपनी चलाता है।


भाई छोटा है मेरा, पर बीमार पड़ जाने पर

ना जाने कैसे वह बड़ा हो जाता है।

भाई बहन का रिश्ता सबसे ख़ूबसूरत और प्यारा है।

घर में लड़ाई भी ख़ूब करते हैं पर प्यार भी ख़ूब करते हैं।



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