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sanchika khandelwal

Inspirational

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sanchika khandelwal

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राष्ट्रीय नायकों और भारत माता को श्रदधांजलि

राष्ट्रीय नायकों और भारत माता को श्रदधांजलि

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तिहत्तर बरस पहले हमने आजादी पाई थी

बच्चे बूढ़े सब ने मिलकर देश- प्रेम की देश प्रेम की धुन गाई थी

भारत की आजादी में कितनों ने मृत्यु का वरण किया

कितनों ने अपना घर छोड़ा कितनों ने जीवन मरण किया ।

निरंतर विकास करने लगे हम 

प्रगति पथ पर मरने लगे हम

बदली भारत की तस्वीर 

दुनिया के नक्शे पर उभरने लगे हम ।

अचानक एक दिन कोरोना का आतंक छाया 

समूचा विश्व इस महामारी की गिरफ्त में आया ।

सारी दुनिया रुक सी गई ,सांसे हमारी थम सी गई 

मरीजों के आंकड़े उछलने लगे

लाशें प्रतिदिन बढ़ने लगी ।

लोग घरों पर रास्तों पर रखकर बैठने लगे 

 घबराए सहमें छिपकर जिंदगी जीने लगे ।

आपदा के इन क्षणों में उम्मीद की डोर थामकर 

कोरोना से लगे जूझने नर्स और डॉक्टर

 इतनी भयावह स्थिति में उम्मीद का दिया जला दिया 

हौसला अपना बुलंद कर इंसानियत का दर्पण दिखा दिया ।

कोरोना से बचाने चले यह सफेद कोट पहने हमारे भगवान 

मत फेंको इन पर पत्थर जागो रे इंसान।

 इल्जाम था जिस पर कि ईमान नहीं है बाकी 

आज तेरी सलामती क

ो अपनी

 जान की बाजी लगाकर खड़ी है ये खाकी ।

आज जब हम इन ऊंची ऊंची इमारतों में बंद सुरक्षित बैठे हैं 

इन्हें बनाने वाले हाथ सड़कों पर घबराए सहमें रहते हैं

 तुझे भूखा देखकर किसी और का भी दिल रोता है 

नायक ही है वह यारों जो भूखों के लिए ,

चौराहे पर लंगर ढोता है। 

तो यारों कोई मौत से लड़ कर जिंदगी बचा रहा है 

तो कोई कचरा उठाकर ताली बजा रहा है

 तो कोई खाकी वर्दी में सीमा पर अपना जौहर दिखा रहा है 

तो कोई मौन रहकर खेतों में अननाज उगा रहा है ।

मुश्किल है बहुत मगर यह वक्त भी गुजर जायेगा

 जिंदा रहने का जज्बा फिर से आएगा

 वीरान पड़े इन मैदानों में बच्चे बड़े सब आएंगे

 जाया ना होगी इनकी सेवा खुशियों के मौसम आएंगे

 इन योद्धाओं के समर्पण को मेरा शत-शत प्रणाम 

मां भारती के सपूतों को इस जज्बे को मेरा सलाम 

हर सुबह शाम की दुआएं हम आपके नाम करते हैं

 कभी थाली बजाकर, तो कभी ताली बजाकर

 हम आप का सम्मान करते हैं 

आपको नमन करते हैं आपको नमन करते हैं।



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