राम लौटा दो या रावण बना दो
राम लौटा दो या रावण बना दो
मुझे कोई राम लौटा दो या मुझे
रावण सा शैतान बना दो
नारी की इज़्ज़त के लिए लड़
जाए ऐसा भगवान बता दो
नारी उठाकर भी इज़्ज़त को
महफूज रख दे
या ऐसा इंसान बना दो
हर घड़ी लुट रही है अस्मिता
सीता की राम के देश में
कोई तो हो जो रक्षा करे सीता की
चाहे वो आये रावण के भेष में
वो बात रही ना अब राम के
आदेश में
मर रही है सीता गृह क्लेश में
हर कोई फिर रहा है जिस्म
नारी का लूटने के द्वेष में
मान लो राक्षसी खून मिल
गया है राम के प्रवेश में
राम भूमि के लिए लड़ रहे हो पहले
राम के गुण तो अपना लो
बाबरी मस्जिद बाद में तोड़ना
पहले औरतों की इज़्ज़त तो बचा लो
मुगली विचारों को छोड़कर
आर्यावर्त का खून बाहर निकालो
माँ बहन पर बुरी नज़र पड़ी है
अब तो शमशीर उठा लो
पितामह भीष्म से बन नारी सामने
पाकर दुश्मन पर भी वार ना कर
हिंदू धर्म है तेरा, दूसरे धर्मों की तरह
औरतों पर अत्याचार ना कर
तीन तलाक हलाला वह करते हैं
पर हवस से तू भी नोच रहा है
नारी को
उस पर भी विचार कर
वाहेगुरु ईश्वर अल्लाह और
सुन मेरे भगवान
लौटा दो औरत की वो इज़्ज़त वो
सम्मान
दबी पड़ी यहां पर विश्वआरा,
लोपा, मैत्रयी सी विद्वान
बोली हर औरत अपनी बोली,
ना मर्द की बोले ज़ुबान
हर नारी में सीता दिखे जो
बढ़ाए भरत देश की शान
राम राज्य से हो मेरे हिंदुस्तान
की पहचान
अगर ना हो पाए ऐसा तो
मिटा दो हस्ती- ए-इंसान
कुछ को ज़मीन में दबा दो
कुछ को बना दो राख-ए-शमशान
हाथ उठे सीता पर,
ना चाहिए मुझे ऐसा हिंदुस्तान
