राम का वास
राम का वास
जहाँ ध्यान में सरलता मन में दृढ़ विश्वास।
मानव सेवा हो जहां, वहीं राम का वास।।
जीवन में सदज्ञान से करिये साक्षात्कार।
छू मन्तर हो जाएंगे, मन के सभी विकार।।
मन में दूषित भावना देते चिन्ता द्वेष।
सतसंगत कर लीजिए, मिट जायेंगे क्लेश।।
सकारात्मक भावना, दिव्य ऊर्जा श्रोत ।
आत्मज्ञान की शक्ति से मिलता ज्ञान प्रबोध॥
मन में अन्तर द्वन्द हो, तो उपजे अति भ्रांति ।
दिव्य ज्ञान की शक्ति से, ही मिलती है शान्ति ||
मानव मन चंचल महा, भरा हुआ मद मोह।
ये सबही छूटे तभी, जब दृढ़ निश्चय होय।।
मन निर्मल निस्वार्थ हो, होय न लौकिक चाह।
सेवा दुखी गरीब की, सुख का सरित प्रवाह ॥