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Prem Bajaj

Abstract

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Prem Bajaj

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राखी आई

राखी आई

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आया सावन राखी आई बहना प्यारी फूली ना समाई 

रौली-मौली, राखी- मिठाई इन सबसे थाल सजाई ।

तिलक करती , बलैयां लेती भाई की आरती उतारती 

प्रीत के इन धागों के संग भाई पर अपना प्यार बरसाती ।


बहना भाई को बांधे एक सूत का कच्चा धागा 

भाई भी रक्षा का बहना को है करता वादा ।

सब दु:ख - सुख बहना तेरे हर लूंगा मैं 

आंच तुझ पर कभी भी ना आने दूंगा मैं ।


रेशम के धागे में हमको अनमोल हैं लगते 

हीरे-जवाहरात भी इनके सामने फीके लगते ।

बहना रूठे भाई मनाए, भाई रूठे बहना मनाती 

जिनकी बहना प्रदेश बसे याद उनकी बहुत सताती ।


रंग- बिरंगे इन धागों में देखो कैसा प्यार है छुपा 

इन धागों में भाई के लिए बहन बांध देती दुआ 

श्रावण मास की शुक्ल पूर्णिमा को सब राखी मनाओ 

एक- दूजे पे प्यार लुटाओ भाई अपने से तोहफ़े पाओ ।


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