प्य़ार ही प्य़ार
प्य़ार ही प्य़ार
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जीवन के हर मूल शब्द में
प्य़ार-प्य़ार का नाम बसे।
हो सबका कल्याण तो कोमल
जैसे भाव बने।
दुख को दूऱ करो सबका फूलों
जैसे पथ बने।
जिसके के लिए हर व्यक्ति दोस्त
कोमलता का भाव है उसका।