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प्यार का पहला एहसास

प्यार का पहला एहसास

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प्यार किया यह गुनाह है हमारा

पर तू भी तो गुनाहगार हो,

नजरे मिलाई थी इस कदर

जैसे प्यार का इकरार हो ।


बेवाक आंखों में आंखें यूं डालकर

तू चाहती नहीं थी नजरें हटाना ,

दिल कहता कुछ और ठहर, कुछ कह

ठिठकती नजर , पर चुराने का बहाना।


फिर क्यों ना करती हो इजहार ?

किस बात का डर है ?

प्यार में ताकत है आजमा कर देख-

आ जा, जिस दिल में तेरा घर है।


नहीं तो, हिम्मत हार और छुप जा,

फिर, पीती रह घूंट-घूंट आंसू

हमें तो इंकार नहीं - यादों के साए में

'शाश्वत' जीता रहे प्रेम पिपासु।


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